जांच में एनआईए की तत्काल एंट्री इस शक को और ज़्यादा मज़बूत करती है कि यह मामला पॉपुलर फ्रंट को निशाना बनाने की एक और चाल है।

नई दिल्ली

 फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव अनीस अहमद ने मीडिया को जारी अपने बयान में तमिलनाडु में संगठन के उत्तर-पूर्वी जोनल सचिव मोहम्मद रोसलान के घर पर एनआईए की छापेमारी की कड़ी निंदा की है।



अनीस अहमद ने कहा "यह छापेमारी जुलाई में बिहार के अंदर संगठन के पदाधिकारियों और सदस्यों के ख़िलाफ़ एनआईए द्वारा शुरू किए गए उत्पीड़न की एक कड़ी है। बिहार पुलिस ने पूछताछ के बहाने पटना के फुलवारी इलाक़े से निर्दोष लोगों को हिरासत में लिया और बाद में उन्हें मीडिया के सामने आतंकवादी की तरह पेश किया। खुद बिहार पुलिस के आपस में टकराते बयानों से यह स्पष्ट हो गया था कि यह मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित और पॉपुलर फ्रंट को निशाना बनाने की साज़िश का हिस्सा है। आगे चलकर पुलिस ने बिहार और अन्य राज्यों के संगठन के सदस्यों और पदाधिकारियों सहित 20 लोगों की एक लिस्ट जारी की। "



उन्होंने आगे कहा कि "जांच में एनआईए की तत्काल एंट्री इस शक को और ज़्यादा मज़बूत करती है कि यह मामला पॉपुलर फ्रंट को निशाना बनाने की एक और चाल है। हाशिए पर खड़े वर्गों के बीच एजेंसी की अब कोई साख बाक़ी नहीं रही है। अब एनआईए ने पॉपुलर फ्रंट के जोनल सचिव के घर पर छापेमारी की है। मोहम्मद रोसलान ने संगठनात्मक गतिविधियों के तहत बिहार का दौरा करने के अलावा कुछ भी गलत काम नहीं किया है। किसी भी नागरिक का एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना कोई अपराध नहीं है। "



पॉपुलर फ्रंट के महासचिव ने कहा "पॉपुलर फ्रंट एनआईए से अपील करता है कि वह राजनीतिक आकाओं के मोहरों की तरह काम करना बंद करे। इस तरह के उत्पीड़न और बदनाम करने के तरीके से पॉपुलर फ्रंट को रोका नहीं जा सकता। संगठन राजनीतिक रूप से प्रेरित मुकदमों का सड़कों और अदालत में सामना करने की क्षमता रखता है।"

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