अलवीरा खुर्सीद
हिम्मत अभी बाकी है
क्या एक बेटी होने की सजा दी
या बेटी होने का एहसास दिलाया जाता है,
बेटी होना आसान नहीं होता,
अपने ही ख्वाबों को अपने ही अंदर दफन करना पड़ता है,
जिद की थी स्कूल जाने की,
अब्बू ने स्कूल मे पढ़ाया,
दुनिया से लड़कर आगे बढ़ना सिखाया,
एक बार फिर मेरे सामने मेरे ख्वाब कत्ल हो रहे थे,
रोकने वालो मे मेरे अपने भी शामिल हो रहे थे,
रह गई थी अकेली बस एक माँ की आस थी,
माँ का फर्ज था या उसकी ममता,
ये तो अल्लाह ही जनता है,
अभी भी मुझमें हिम्मत तो बहुत है,
क्योकि आगे बढ़ने के लिए माँ का साथ ही काफ़ी है,
अब दिखाना है दुनिया को के बेटियाँ बोझ नहीं होती,
सम्मान दो उनको वो भी भगवान का रूप होती है|
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