श्रावस्ती, 28 सितम्बर, 2022 जिलाधिकारी नेहा प्रकाश के निर्देश पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी विजय कुमार ने बताया है कि आम जनमानस को संक्रामक बीमारियों तथा जापानी इन्सेफलाइटिस, एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिन्ड्रोम यानी जेई, एईएस, संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत कृषि विभाग द्वारा संचारी रोगों के वाहक/वेक्टर के रूप में कार्य करने वाले कृंतक नियंत्रण करने तथा मच्छरों का प्रजनन रोकने हेतु जन जागरूकता कार्यक्रम की कार्ययोजना जारी कर दी गई है। कृषि रक्षा अनुभाग द्वारा समस्त न्यायपंचायतवार कर्मचारियो की डयूटी लगायी गई है। कृषि रक्षा इकाई पर आने वाले कृषको से संवाद के माध्यम से कृंतक नियंत्रण तथा मच्छर नियंत्रण कार्यक्रम 01 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2022 तक चलाया जायेगा। कृतक नियंत्रण के लिए जनपद की निजी प्रतिष्ठानो पर उपलब्ध कृषि रक्षा रसायन जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत तथा एलुमीनियम फॉस्फाइड 56 प्रतिशत के माध्यम से संचारी व संक्रामक रोगों का रोकथाम किया जा सकता है।
उन्होने जनपद के समस्त कृषको से अपील किया है कि अपने-अपने घरो में चूहा नियंत्रण हेतु कृषि रक्षा रसायनों का सावधानी पूर्वक प्रयोग करें। कृषि रक्षा रसायन के प्रयोग के लिए एक बिल/छेद के लिए एक ग्राम दवा में 1 ग्राम सरसों का तेल व 48 ग्राम सूखा भूना आटा मिलाकर चूहों के बिल के पास अथवा घर के कोने में रखे और अगले दिन निरीक्षण करें। चूहे के मरने के बाद इसको जमीन के अन्दर दबा दें साथ ही साथ यह भी ध्यान रखे कि कृषि रक्षा रसायन के प्रयोग के समय हाथ में दस्ताने अवश्य पहने दवा रखने के बाद साबुन से अच्छी तरह से हाथ मुँह धुल लें। इस प्रकार से चूहों द्वारा फैलने वाले रोगों से बचा जा सकता है।
उन्होने बताया कि संचारी रोग चूहा/छछून्दर के माध्यम से फैलता है। जिनसे स्क्रब टाईफस तथा लेप्टोस्पायिरोसिस रोग फैलता है। स्क्रब टाईफस तथा लेप्टोस्पायिरोसिस के लक्षण तेज सिर दर्द, बुखार आना, उल्टी होना, हाथ पैरों में दर्द होना आदि हो सकते है। चूहा/छछुन्दर की रोकथाम के लिए प्रथम दिन-आवासीय घरों/खेतों का निरीक्षण एवं बिलों को बन्द करते हुए चिन्हित कर झण्डी लगायें। द्वितीय दिन-निरीक्षण कर जो बिल बन्द हों वहाँ चिन्ह मिटा दें, जहाँ पर बिल खुले हो वहाँ चिन्ह रहने दें। खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल एवं 48 ग्राम भुने दाने का चारा बिना जहर मिलाये बिल के आस-पास रखें। तृतीय दिन- बिलों का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रखें। चतुर्थ दिन- जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत $ सरसो का तेल $ भूना चना ( 1ः1ः48) के अनुपात में मिलाकर बिलो के पास रखे। पंचम दिन- बिलों का निरीक्षण करें एवं मरे हुए चूहे को एकत्र कर जमीन में गाड़ दें। छठा दिन- बिलों को पुनः बन्द करें तथा अगले दिन यदि बिल खुले पाये जाये तो उक्त कार्यक्रम पुनः दोहरायें।जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने यह भी बताया कि कृषि विभाग द्वारा संचालित सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली में किसानों की समस्याओं का निस्तारण 48 घंटे के भीतर किया जा रहा है। किसान भाई अपने फसलो में लगने वाले कीट रोग एवं अन्य समस्या के लिए मो० नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 पर फसल की फोटो वाट्सऐप पर भेज कर रोग व कीट से बचाव के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कर सकते है। उन्होने बताया की किसान भाई अपने नजदीकी कृषि रक्षा इकाई से भी सम्पर्क करके लगने वाले कीट/रोग से समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते है।
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