ह्यूमन राइट्स जस्टिस असोसिएशन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की दोषियों पर कारवाई करने की मांग.

महाराष्ट्र,बीड

            शासन और प्रशासन की असंवेदनशीलता को उजागर करने वाली और मानवता को शर्मसार करने वाली घटना महाराष्ट्र के बीड जिले में गत रविवार दि.03/12/2022 को घटीत हुई. आधिकारिक तौर पर मिला हुआ घरकुल का निर्माण तथा उर्वरित रकम की किश्त मिलने के लिए जिल्हाधिकारी कार्यालय के सामने उपोषण कर रहे वृद्ध व्यक्ती की ठंड से अकड़ कर मौत हो गई.रिश्तेदारों का आक्रोश सुन कर लोगों के दिल दहल गए. 


      मरने वाले का नाम आप्पाराव भुजाराव पवार (उम्र -60) है.जो पारधी समाज के थे. पारधी समाज जिसपर गुन्हेगार समाज की मोहर सदियों से लगी हुई है. लेकिन ये समाज अब सुधर रहा है मगर ऊंच निच का भेदभाव मानने वाले उच्चभ्रू समाज को ये मंजूर नहीं है. इसलिए आज भी कहीं भी चोरी या डकैती की घटना घटती है तो पोलिस के निशाने पर सब से पहले पारधी समाज ही होता है. अब तक सैंकड़ो निष्पाप इस का शिकार हो चुके है.


बीड तहसील के वासनवाड़ी के रहनेवाले आप्पाराव का उपोषण कड़ाके की ठंड में भी शुरू था. उन्हें इस देश के संविधान द्वारा प्राप्त अधिकारों पर निष्ठा थी इसलिए पिछले कुछ वर्षों से आप्पाराव महसूल आयुक्त कार्यालय और जिल्हाधिकारी कार्यालय के सामने लगातार उपोषण कर रहे थे. उसी में आज उनका अंत हो गया.

बीड तहसील के वासनवाड़ी गांव में पवार परिवार पिछले 35वर्षों से रह रहा है. कुल 4 परिवार घर बांध रहे थे.2020में उनको घरकुल योजना के अंतर्गत घर मिल गया. ग्रामसेवक ने ज़रूरी कारवाई पूरी कर ली.उन्हें पहली किश्त भी अदा की गई. घर बनाने का सामान ख़रीदा गया. फाउंडेशन की खुदाई शुरू होते ही एक राजकीय नेता ने ये जगह हमारी है कह कर बांधकाम को रोक दिया. भविष्य में इस जगह से लग कर हाईवे होने वाला है जिसकी वजह से काम रुकवा दिया गया और जगह देने से इनकार कर दिया.तबसे आप्पाराव का संघर्ष जारी था.

ह्यूमन राइट्स जस्टिस असोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मा. तनवीरअहमद मुजावर ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग-दिल्ली में मामले को दर्ज कराया.उन्होंने कहा के अप्पाराव के मौत के जिम्मेदार जिल्हाधिकारी कार्यालय के प्रशासकीय अधिकारी है और उन्हें सजा मिलनी चाहिए.

  जिल्हाधिकारी कार्यालय के सामने आप्पराव अपने परिवार के साथ उपोषण कर रहे थे मगर इन उपोषणकर्ताओं की दखल किसी भी प्रशासकीय अधिकारी ने नहीं ली.आज हमें पारधी समाज को मुख्य प्रवाह में लाने की ज़रूरत है.बेचारे पारधी एक तो इन्हे पोलिस द्वारा मुजरिम का ठप्पा लगा कर जेल भेज दिया जाता है इसलिए बाकी के लोग डर से जंगल में छुप कर रहते है. आप्पाराव ने अपने हक्क का घर बनाने का ख्वाब देखा तो उन्हें खुले आसमान के निचे मरना पड़ा मगर सर पर छत नसीब ना हुई.

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