बन्द पड़ी मस्जिद बंदरों के लिए भी एक आश्रय स्थल है।

#क़ुतुब_खान_की_मस्जिद, #Sohna 

सोहना, जिला गुरुग्राम (गुड़गांव) हरियाणा, भारत 

साले तामीर :- कुतब खान की मस्जिद हरियाणा पुरातत्व विभाग की सूची के अनुसार लगभग 1550 ईस्वी की बनी हुई  है। डिस्ट्रिक्ट गुडगाँव गेजेटर 1910 के मुताबिक इस मस्जिद का नाम एक खांजादा सरदार कुतुब खान खानजादा के नाम पर पड़ा है जिसने 1570 ई में कंम्बोज को पराजित करके सोहना शहर को फतह किया। 

निर्माता:- नामालूम

लोकेशन:- कुतुब खान मस्जिद सोहना (गुरुग्राम) शहर में सोहना गुरुग्राम रोड़ से कुछ ही मीटर की दूरी पर सैनी कॉलोनी चुंगी ब्लाक-1 के करीब स्थित है।



सोहना शहर ऐतिहासिक स्मारकों एवं धरोहरों के एतबार से अत्यंत धनी है। इन ऐतिहासिक हेरिटेज में से अधिकांश अतिक्रमण व विध्वंस के शिकार हो चुके हैं।और कुछ का भारी नुकसान हुआ है।



क़ुतुब खान की मस्जिद ग्रेनाइट और क्वार्टजाइट पत्थरों से बनी है।

It's a large Masjid, 95 feet 9 inches long by 27 feet 2 inches.

यह एक लम्बी चोड़ी मस्जिद है जिसकी लम्बाई 97 फुट 9 इंच और चौड़ाई 27 फिट 2 इंच है। सह मेहराबी यह आयताकार संरचना है जिसमें तीन मेहराबी प्रवेशद्वार हैं। तीनों द्वारकक्ष मेहराबदार हैं। सामने वाली मेहराबी दीवार में बलुआ पत्थर प्रयोग किया गया है। केंद्रीय द्वार से वाबस्ता गुंबद कक्ष बाकी दो द्वारकक्षों की तुलना में उच्च और व्यापक है। मस्जिद का मुख्य मेहराब इसी कक्ष में है। मस्जिद के केन्द्र में एक खूबसूरत गुंबद इसी कक्ष के उच्च अष्टकोणीय आधार पर टिकी हुई है। एक कम आर्केड बरामदा संरचना के दोनों अतराफ पर स्थित है जो दोनों पक्षों को कवर करता है। मस्जिद के बाहरी हिस्से को धनुषाकार ताक़चों के साथ आयताकार पैनलों में सजाया गया है। इस मस्जिद का तर्ज़े तामीर दिल्ली के पुराने किले में मौजूद शेरशाह सूरी पीरियड की मस्जिद से बहुत कुछ मेल खाता है। 



मस्जिद बंदरों के लिए भी एक आश्रय स्थल है। वे मस्जिद परिसर को विश्राम स्थल के रूप में उपयोग करते हैं। इसके अलावा गोबर के उपलों के भंडारण के लिए मस्जिद के कक्षों का इस्तेमाल जारी है। 



हरियाणा पुरातत्व विभाग की सूची मे होने के बावजूद इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया और तो और हरियाणा के कुछ कला पेजों ने भी इस मस्जिद की जानकारी अपने पेज से हटा दी है । हरियाणा पुरातत्व विभाग की वेबसाइट पर दर्ज जानकारी के अनुसार ये स्मारक 31 जनवरी 2019 से राज्य के संरक्षण में है। और मस्जिद के लिए वक्फ शुदा ज़मीन 20 कनाल 5 मरला है। अभी तक यहां मरम्मती व सफाई सुथराई से मुताल्लिक़ कोई कार्य नहीं हुवा। मुब्बा कवर्सिका का कहना है कि हमारी #हरियाणा_पुरातत्व_विभाग से अपील है कि इस ऐतिहासिक धरोहर की संरक्षण के लिये जल्द से जल्द काम शुरू करे। मस्जिद की मरम्मत व संरक्षण को यक़ीनी बनाते हुए इसकी बाकी अराजी (20 कनाल 5 मरला) पर एक कल्चरल एवं हेरिटेज पार्क डेवलप करे।

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